धोबी घर का रहा ना घाट का
धोबी घर का रहा ना घाट का = लालच मैं बहुत नुकसान उठाना
इस कहावत की सुरुवात नरसी भगत की कहानी से है। भगवन श्रीकिशन ने नरसी भगत का भात भरने के लिए सोने चांदी की बारिश कर दी थी। उस गांव के धोबी ने सोचा की मेरे घाट पे भी सोने चांदी की बारिश हुई होगी पहले उसे बटोर लाऊं उसके बाद घर का सोना चांदी बटोरुं। उसने घाट पर जाकर देखा कि वहां कोई बारिश नहीं हुई है। जब वह वापस आया तब तहत पडोसी उसके घर का सोना चांदी भी उठाकर ले गए थे।
इस कहावत की सुरुवात नरसी भगत की कहानी से है। भगवन श्रीकिशन ने नरसी भगत का भात भरने के लिए सोने चांदी की बारिश कर दी थी। उस गांव के धोबी ने सोचा की मेरे घाट पे भी सोने चांदी की बारिश हुई होगी पहले उसे बटोर लाऊं उसके बाद घर का सोना चांदी बटोरुं। उसने घाट पर जाकर देखा कि वहां कोई बारिश नहीं हुई है। जब वह वापस आया तब तहत पडोसी उसके घर का सोना चांदी भी उठाकर ले गए थे।
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