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Showing posts from April, 2020

चाँदी के जूते मारना

चाँदी के जूते मारना बहुत पैसे देना पर बहुत बेज्जत्ती करना। 

खोदा पहाड़ निकली चुहिया

खोदा पहाड़   निकली चुहिया मेहनत के अनुरूप फल प्राप्त न होना ही“ खोदा पहाड़   निकली चुहिया”  मुहावरे का सही अर्थ है ।

ईद का चांद होना

ईद का चांद होना बहुत इंतजार करने के बाद किसी से मुलाकात होना।  मुसलमानो मैं तीस दिन के रोजे रखने के बाद ईद का चाँद दिखता है तब जाकर रोजे ख़तम होते हैं। 

छतीस का आंकड़ा होना

छतीस का आंकड़ा होना  छतीस को इस प्रकार लिखा जाता है ३६।  इसमें दोनों अंक एक दूसरे की तरफ देखते भी नहीं हैं। एक दांयी तरफ देखता है तो दूसरा बांयी तरफ।  

नौ दो ग्यारह होना

नौ दो ग्यारह होना नौ और दो जोड़कर ग्यारह होते हैं।  इसमें ग्यारह को लिखने का तरीका देखना चाहिए ११ इसके बीच मैं से भागने का रास्ता है।  इसलिए इसका इस्तेमाल भाग जाने के लिए होता है। 

गाल बजाना

गाल बजाना मुहावरे का अर्थ क्या होता है? व्यर्थ बोलना ,बकवास करना

बाल की खाल निकालना

बाल की खाल निकालना किसी विषय पर अनावश्यक  गहनता से पूछताछ, निरीक्षण या परीक्षण करना। बाल की खाल नहीं होती पर जो बाल की भी खाल उतार कर देखना चाहे की उसके अंदर क्या है ये उनके लिए है। 

अपनी गरज बावली

अपनी गरज बावली इसका अर्थ बहुत ही सरल है अपनी मतलब खुद की , गरज मतलब काम , बावली मतलब पागल । सीधा सा अर्थ यह है कि हम अपने स्वयं के काम को करने के लिए बहुत आतुर रहते है । मतलब मेरा कोई काम है जो जल्दी हो जाये । उदाहरण के तौर पर ऐसे समझ सकते है कि हम किसी दुकान पर कुछ सामान खरिदने गए , और वहाँ पर बहुत भीड़ है , तो हम अपना सामान लेने के लिए जल्दी करते है , कि जल्दी से जल्दी मेरा सामान मुझे मिल जाये ।

गुदड़ी के लाल

गुदड़ी के लाल - अर्थात अभावग्रस्त जीवन में होने के पश्चात भी उच्च स्तर तक पहुचना। लाल बहादुर शास्त्री जी गुदड़ी के लाल थे। गुदड़ी = गरीबों का कपडा होता है। 

आगे कुआँ पीछे खाई

'आगे कुआँ पीछे खाई'  मुहावरे का अर्थ = हर तरफ से हानि का होना ,मुसीबत में दोनों तरफ़ से हानि , चारों तरफ से मुसीबत से घिर जाना | कुएं की तरफ जायेंगे तो उसमें गिर कर मर जायेंगे और अगर खाई की तरफ जायेंगे तो उसमें गिर कर मर जायेंगे।

टेढ़ी खीर होना

टेढ़ी खीर होना जब आप कोई व्यंजन बनाते हैं तो उसको बनाने की एक विधि होती है कुछ की सरल कुछ की टेढ़ी। टेढ़ी खीर होना मुश्किल काम होना है। 

यह मुँह और मसूर की दाल

यह मुँह और मसूर की दाल मसूर की दाल एक समय बहुत महंगी मानी जाती थी गरीब लोग उसे नहीं खा सकते थे। इसलिए इसका इस्तेमाल अपनी हैसियत से ज्यादा की मांग करने वाले लोगों के लिए किया जाता है। 

ढाक के तीन पात

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ढाक एक पेड़ का नाम होता है और ढाक के तीन पात का मतलब बहुत कम पत्तों के पेड़ के लिए होता है।  बिना पत्तों का पेड़ किसी काम का नही होता। वह छाया नहीं दे सकता।  ----- https://hi.quora.com/%E0%A4%A2%E0%A4%BE%E0%A4%95-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%A4%E0%A5%80%E0%A4%A8-%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%A4-%E0%A4%AE%E0%A5%81%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A5%87-%E0%A4%95%E0%A4%BE “ढाक के तीन पात, ”  इस मुहावरे का प्रयोग ऐसी स्थिति को बयां करने के लिए किया जाता है जहां हम  शून्य बदलाव  देखते हैं या साधारण भाषा में कहें तो ‘ एक समान रहना’ यह इसका अर्थ है। इसका वाक्य में इस प्रकार प्रयोग किया जाता है - हिंदुस्तान में कई सरकारें आईं और गईं पर स्थिति वही  ढाक के तीन पात। इस लड़के के सभी साथी कहां-कहां पहुंच गए हैं, पर यह वही है  ढाक के तीन पात। जहां तक इसकी उत्पत्ति की बात है, यह शायद इसलिए हुई क्योंकि ढाक के पात यानी पत्ते एक साथ तीन के समूह में होते हैं। ढाक को ‘पलाश’और ‘टेसू’ नाम से भी जाना जाता है। इस वृक्ष की विकास दर भी धीमी होती है, शायद इन्हीं कारणों से यह मुहावरा प्रयोग किया जात

दारू

दारू = (Tonic) शक्तिवर्धक दवाई आजकल दारू सब्द का प्रयोग शराब के लिए होता है। परन्तु प्रेमचन्द के समय में इसका प्रयोग शक्तिवर्धक दवाई के लिए होता था।  इसीलिए बीमार लोगों की दवा-दारू कराई जाती थी। 

हौआ

हौआ = (Scare crow) चिड़िया को भागने के लिए खड़ा किया जाने वाला पुतला हौआ से चिड़िया को बहुत डर लगता है पर असलियत मैं वो कुछ भी भी नहीं बिगाड़ सकता चिड़िया का | 

होनहार बिरवान के होत चीकने पात

होनहार बिरवान के होत चीकने पात इस कहावत पर प्रेमचंद जी ने एक साहित्यिक नाटक लिखा है। इस कहावत का अर्थ है कि जो होनहार (प्रतिभाशाली) लोग होते हैं, उनके ढंग और गुण ही निराले होते हैं। वह मामूली लोगों से अपनी सोच के बल से अलग दिखते हैं। (बिरवान = पेड़, पात = पत्ते)